नई दिल्ली: वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि भारत सभी संबंधित हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को अंतिम रूप दे रहा है। उन्होंने कहा कि अतीत के विपरीत, ये समझौते अब निष्पक्ष, न्यायसंगत और संतुलित हैं।
चेन्नई में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “हम पहले की तरह एफटीए पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं। हर समझौता व्यापक हितधारक परामर्श के बाद होता है।”
उन्होंने चार यूरोपीय देशों के समूह ईएफटीए के साथ समझौते का हवाला देते हुए कहा कि एफटीए के इतिहास में पहली बार इस समझौते में भारत को 100 अरब डॉलर एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) की प्रतिबद्धता मिली है।
मोदी सरकार ने ऑस्ट्रेलिया और यूएई जैसे देशों के साथ इन समझौतों को लागू किया है। उन्होंने यह भी कहा कि आरसीईपी (क्षेत्रीय व्यापक भागीदारी समझौता) से बाहर निकलने का भारत का निर्णय राष्ट्रीय हितों की रक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “यह एमएसएमई के हित में नहीं था और इससे देश में चीनी सामानों के लिए बाढ़ का द्वार खुल जाता। इसलिए, हमने आरसीईपी में शामिल होने से इनकार कर दिया।”
निर्यात के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि 2023-24 में देश का माल और सेवा निर्यात 778 अरब डॉलर तक पहुंच गया और इस साल इसके 800 अरब डॉलर को पार करने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, “हम अपना सीएडी (चालू खाता घाटा) अभी भी सकल घरेलू उत्पाद के एक प्रतिशत के आसपास बनाए रखेंगे, जो बनाए रखने के लिए एक उचित स्तर है।”